कथनी, करनी एक हो, तो बन जाये बात भाव सदा मंगल रहे, मंगल हो दिन-रात। कथनी, करनी एक हो, तो बन जाये बात भाव सदा मंगल रहे, मंगल हो दिन-रात।
कवि फिर परेशान था आज किसपर कविता लिखी जाए। कवि फिर परेशान था आज किसपर कविता लिखी जाए।
कभी पाठक संग हंसती हैंं तो कभी रोती हैंं सच,किताबें सिर्फ किताबे नहीं बहुत कुछ होती! कभी पाठक संग हंसती हैंं तो कभी रोती हैंं सच,किताबें सिर्फ किताबे नहीं बहुत क...
पत्नी तक का दर्जा दिलाते हैं जुल्म करने पर ना कोई हिचकिचाते हैं पत्नी तक का दर्जा दिलाते हैं जुल्म करने पर ना कोई हिचकिचाते हैं
सब भूल कर फिर दाव पर मैं आँसू ही लगाने के लिए बैठा रहा। सब भूल कर फिर दाव पर मैं आँसू ही लगाने के लिए बैठा रहा।
नोट - नव वर्ष पर जागृति गान। नोट - नव वर्ष पर जागृति गान।